मध्य प्रदेश

अब होगा कब्रस्तान और मरघट का सीमांकन

देवास के कब्रस्तान और मरघट विवाद ने अब निर्णायक मोड़ लिया है। उच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल के उस स्थगन को रद्द कर दिया है जिसमें प्रशासन को सीमांकन करने से रोका गया था। वैसे तो यह कब्रस्तान सिर्फ सर्वे नम्बर 85 में ही था लेकिन जमीन हथियाने के लिए पिंजारा समाज के भू माफिया और असामाजिक तत्वों ने कूट रचित दस्तावेज और प्रशासन के साथ वक्फ बोर्ड में अधिकारियों को गुमराह करके और आर्थिक फायदा पहुंचा कर ईसाई समाज के कब्रस्तान और वाल्मीकि समाज के मरघट को वक्फ में दर्ज करा लिया था। इसी वजह से ये लोग सीमांकन में रोड़ा बन रहे थे लेकिन अब उच्च न्यायालय के आदेश से इनके चेहरे से हवाइयां उड़ने लगी हैं।

देवास। देवास के कब्रस्तान और मरघट विवाद ने अब निर्णायक मोड़ लिया है। उच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल के उस स्थगन को रद्द कर दिया है जिसमें प्रशासन को सीमांकन करने से रोका गया था। वैसे तो यह कब्रस्तान सिर्फ सर्वे नम्बर 85 में ही था लेकिन जमीन हथियाने के लिए पिंजारा समाज के भू माफिया और असामाजिक तत्वों ने कूट रचित दस्तावेज और प्रशासन के साथ वक्फ बोर्ड में अधिकारियों को गुमराह करके और आर्थिक फायदा पहुंचा कर ईसाई समाज के कब्रस्तान और वाल्मीकि समाज के मरघट को वक्फ में दर्ज करा लिया था। इस कूटरचना के लिए संगठित रूप से एक मुतवल्ली कमेटी भी बनाई गई थी जिसका सचिव शाकिर पिंजारा अपने असामाजिक तत्वों के साथ कब्रस्तान की जमीन हथियाने के लिए फर्जी दस्तावेजों और मुस्लिम समाज के नेताओं के हस्तक्षेप से कब्रस्तान की आड़ में कब्रस्तान परिसर में अवैध गतिविधियों का संचालन कर रहे थे। फरवरी 2024 में प्रशासन के शांतिपूर्ण सीमांकन में सांप्रदायिकता की आग भड़काने में भी शाकिर पिंजारा ने अपने साथियों के साथ हंगामा खड़ा किया था जिसके बाद दोपहर में वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश से सीमांकन पर स्थगन हुआ था और तब से आज तक परिसर का सीमांकन नहीं हो पाया था।

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गत दिवस ने उच्च न्यायालय ने उक्त स्थगन को गलत बताते हुए रद्द कर दिया और एक बार फिर ट्रिब्यूनल को सर्वे नंबर 85 के अलग से गेट की व्यवस्था और वैज्ञानिक आधार पर जांच और सीमांकन के आदेश दिए हैं। इस आदेश से पिंजारा समाज के भू माफिया सदमे की स्थिति में हैं।

कब्रस्तान को अखाड़ा बनाने में भू माफिया और असामाजिक तत्व सक्रिय

मंसूरी समाज के कुछ असामाजिक तत्वों ने कब्रस्तान जैसी पवित्र जगह को बदनाम कर दिया है। मंसूरी समाज का कब्रस्तान जो सर्वे नम्बर 85 पर हो कर इसका कुल रकबा 0.555 था। मंसूरी समाज के भू माफिया, ज़मीन के भूखे, असामाजिक तत्व शाकिर पिंजारा और साथियों के द्वारा पहले वाल्मीकि समाज के मरघट सर्वे क्रमांक 84 को अपने कब्जे मे लिया और साथ ही पड़ोस के ईसाई कब्रस्तान की सर्वे नम्बर 83 पर अपनी गिद्ध दृष्टि डालते हुए ईसाई समाज के कब्रस्तान को अपने नाम करवा लिया।

असामाजिक तत्व शाकिर पिंजारा वाल्मीकि समाज और ईसाई समाज की कब्रस्तान की जमीन पर कब्ज़ा जमा कर अपने रिश्तेदारों और समाज के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण करना चाहता है लेकिन वाल्मीकि समाज के हस्तक्षेप के बाद पूरा मामला अधर में अटक गया और इस असामाजिक तत्व की वजह से मंसूरी समाज की राष्ट्रीय स्तर पर लज्जित होना पड़ा। इस अवैध कब्जे के प्रयास के कारण प्रशासन ने सर्वे नम्बर 84 और 85 पर ताले लगा दिए लेकिन यहां पर ताले लगे परिसर में शाकिर पिंजारा ने अपना चौकीदार तैनात किया हुआ है जो कि अवैधानिक गतिविधियों को अंजाम देता है।

पहले भी इस कब्रस्तान में लड़कियों को ला कर अय्याशी की जाती रही है और चोरी का सामान छिपाने में भी यह कब्रस्तान प्रमुख रहा है। इस कब्रस्तान में चौकीदार के लड़के द्वारा चोरी की मोटर साइकिल, बैटरी आदि पूर्व में जब्त की जा चुकी है लेकिन शाकिर पिंजारा द्वारा हर बार मामला रफा दफा किया गया है। विगत वर्ष में लड़की के साथ दो युवकों को कब्रस्तान के अवैध भवन से पुलिस द्वारा पकड़ा गया था लेकिन शाकिर पिंजारा द्वारा इन पर बिना कार्यवाही के छुड़ा लिया गया था।

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वर्तमान में भी शांतिप्रिय ईसाई समाज के कब्रस्तान जिस की बाउंड्री पहले से बनी हुई है को भी इनके द्वारा अवैध तरीके से अपने नाम करवा लिया गया है जिस से ईसाई समाज में रोष व्याप्त है।

शाकिर और मंसूरी समाज के अन्य लोग दबाव बनाने के लिए ईसाई समाज को डराने के लिए चर्च तक भी पहुंचे और ईसाई समाज के लोगों को अन्य सर्वे पर कब्रस्तान होने का दावा करने लगे जबकि सर्वे नंबर 82 पर पहले ही गीता भवन दर्ज है।

क्या है वास्तविकता?

सर्वे नंबर 85 में मंसूरी समाज का वास्तविक कब्रस्तान है जिसका रकबा 0.555 हैक्टेयर है। इसके अलावा सर्वे नंबर 84 में वाल्मीकि समाज का मरघट है और सर्वे नंबर 83 ईसाई समाज का कब्रस्तान है। इसके अलावा सर्वे नंबर 81, 82, 86 और 87 पर गीता भवन निर्मित है। मंसूरी समाज के लोग अब कब्रस्तान विवाद में पड़ोस के सलूजा परिवार, ईसाई समाज और फिर गीता भवन को भी इस लड़ाई में शामिल करवाने का षडयंत्र करते नजर आ रहे हैं। प्रशासन को देवास में शांति भंग करवाने वाले शाकिर पिंजारा और इनके साथियों पर सांप्रदायिकता भड़काने और शहर में किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

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